फ़ित्ना-सामानियों[1] की ख़ू[2] न करे। मुख़्तसर यह कि आरज़ू न करे॥ पहले हस्ती की है तलाश ज़रूर। फिर जो गुम हो तो जुस्तजू न करे॥ मावराये-सुख़न[3] भी है कुछ बात। बात यह है कि गुफ़्तगू न करे॥
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