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Saturday, December 27, 2014

एक मेरा दोस्त मुझसे फ़ासला रखने लगा / उदयप्रताप सिंह

एक मेरा दोस्त मुझसे फ़ासला रखने लगा
रुतबा पाकर कोई रिश्ता क्यों भला रखने लगा

जब से पतवारों ने मेरी नाव को धोखा दिया
मैं भँवर में तैरने का हौसला रखने लगा

मौत का अंदेशा उसके दिल से क्या जाता रहा
वह परिन्दा बिजलियों में घोसला रखने लगा

जिसकी ख़ातिर मैंने सारी दीन-दुनिया छोड़ दी
वह मेरा दिल मुझसे ही शिकवा-गिला रखने लगा

मेरी इन नाकामियों की कामयाबी देखिए
मेरा बेटा दुनियादारी की कला रखने लगा

उदयप्रताप सिंह

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