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Monday, December 29, 2014

सायलेंट अल्फाबेट्स / कुमार अनुपम

उनके पास
अपनी ध्वनि थी
अपनी बोली थी

फिर भी
गूंगे थे वे

स्वीकार था उन्हें
अपने स्वर का तिरस्कार
इसलिए वे
अँग्रेज़ी के अरण्य में रहते थे

कुमार अनुपम

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