उफ़, यह समय
- झरता हुआ।
- कल के बेडौल हाथों
- हुए ख़ुद से त्रस्त।
- हुए ख़ुद से त्रस्त।
- कल के बेडौल हाथों
कहीं कोई है
- कि हममें कँपकँपी भरता हुआ।
- बनते हुए ही टूटते हैं हम
- पठारी नदी के तट से।
- हम विवश हैं फोड़ने को
- माथ अपना निजी चौखट से।
- माथ अपना निजी चौखट से।
- हम विवश हैं फोड़ने को
- पठारी नदी के तट से।
- बनते हुए ही टूटते हैं हम
एक कोई है
- हमें हर क्षण ग़लत करता हुआ।
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