Pages

Wednesday, December 24, 2014

जो ख़ुद उदास हो, वो क्या ख़ुशी लुटाएगा / कृष्ण कुमार ‘नाज़’

जो ख़ुद उदास हो, वो क्या ख़ुशी लुटाएगा
बुझे दिये से दिया किस तरह जलाएगा
 
कमान ख़ुश है कि तीर उसका कामयाब रहा
मलाल भी है कि अब लौटकर न आएगा
 
वो बंद कमरे के गमले का फूल है यारो
वो मौसमों का भला हाल क्या बताएगा
 
मैं जानता हूँ, तेरे बाद मेरी आँखों में
बहुत दिनों तेरा अहसास झिलमिलाएगा
 
तुम उसको अपना समझ तो रहे हो ‘नाज़’ मगर
भरम, भरम है, किसी रोज़ टूट जाएगा

कृष्ण कुमार ‘नाज़’

0 comments :

Post a Comment