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Thursday, December 25, 2014

ज़माने को बदलना / कुमार अनिल

पास कभी तो आकर देख
मुझको आँख उठाकर देख

याद नहीं करता, मत कर
लेकिन मुझे भुलाकर देख

सर के बल आऊँगा मै
मुझको कभी बुलाकर देख

अब तक सिर्फ गिराया है,
चल अब मुझे उठा कर देख

इन पथराई आँखों में
सपने नए सजा कर देख

हार हवा से मान नहीं
दीपक नया जला कर देख

दिल की बंजर धरती पर
कोई फूल खिलाकर देख

तेरा है अस्तित्व अलग
खुद को जरा बता कर देख

कुमार अनिल

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