क्रोध में आई अगर तो ज़िंदगी ले जाएगी
घर, मवेशी, खाट,छप्पर सब नदी ले जाएगी
हैं अभी खुशियाँ,अभी मिल जाएगी ऐसी खबर
जो लबों पर आह रख देगी, हँसी ले जाएगी
जब अँधेरों में चलेंगे, है भटकना लाज़िमी
मंज़िलों की ओर तो बस रोशनी ले जाएगी
साँस जितनी भी मिली है नेकियाँ करते चलो
मौत चुपके से किसी दिन धौंकनी ले जाएगी
जो मेरी तन्हाइयों में पास आती है मेरे
महफ़िलों में भी मुझे वो शाइरी ले जाएगी
Tuesday, December 23, 2014
क्रोध में आई अगर तो / ओमप्रकाश यती
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