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Sunday, December 21, 2014

रास्ते / आत्मा राम रंजन

डिगे भी हैं
लड़खड़ाई भी
चोटें भी खाई कितनी ही

पगड़ंडियां गवाह हैं
कुदालियों, गैंतियों या
डाईनामाईट ने नहीं
कदमों ने ही बनाए हैं रास्ते।

आत्मा राम रंजन

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