Pages

Tuesday, December 16, 2014

ओहदे से तेरे हम को बर आया न जाएगा / 'क़ाएम' चाँदपुरी

ओहदे से तेरे हम को बर आया न जाएगा
ये नाज़ हे तो हम से उठाया न जाएगा

टूटा जो काबा कौन सी ये जा-ए-ग़म है शैख़
कुछ कस्र-ए-दिल नहीं कि बनाया न जाएगा

आतिश तो दी थी ख़ाना-ए-दिल के तईं मैं आप
पर क्या खबर थी ये कि बुझाया न जाएगा

होते तेरे मजाल है हम दरमियाँ न हों
जब तक वजूद-ए-शख़्स है साया न जाएगा

‘काएम’ ख़ुदा भी होने को जो जानते हैं नंग
बंदा तो उन के पास कहाया न जाएगा

'क़ाएम' चाँदपुरी

0 comments :

Post a Comment