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Tuesday, December 16, 2014

लफ़्ज़ तोड़े मरोड़े ग़ज़ल हो गई / ओम प्रकाश 'आदित्य'

लफ़्ज़ तोड़े मरोड़े ग़ज़ल हो गई
सर रदीफ़ों के फोड़े ग़ज़ल हो गई

लीद करके अदीबों की महफि़ल में कल
हिनहिनाए जो घोड़े ग़ज़ल हो गई

ले के माइक गधा इक लगा रेंकने
हाथ पब्लिक ने जोड़े गज़ल हो गई

पंख चींटी के निकले बनी शाइरा
आन लिपटे मकोड़े ग़ज़ल हो गई

ओम प्रकाश 'आदित्य'

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