धरती पर उसके आगमन की अनुगूँज थी
व्यस्क संसार में बच्चे की आहट से
उठ बैठा कब का सोया बच्चा
और अब वहाँ एक गेंद थी
एक ऊँट थोडा सा ऊट-प-टांग
बाघ भी अपने अरूप पर मुस्कराए बिना न रह सका
पहले खिलौने की ख़ुशी में
धरती गेंद की तरह हल्की होकर लद गई
हड़प्पा और मोहनजोदड़ो से मिली मिट्टी की गाड़ी पर
जिसे तब से खींचे ले जा रहा है वह शिशु
Wednesday, December 24, 2014
खिलौना / अरुण देव
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