जब तेरा दर्द मेरे साथ वफ़ा करता है,
एक समन्दर मेरी आँखों से बहा करता है,
उसकी बातें मुझे खुश्बू की तरह लगती है,
फूल जैसे कोई सहरा में खिला करता है,
मेरे दोस्त की पहचान ये ही काफ़ी है,
वो हर शख़्स को दानिस्ता ख़फ़ा करता है,
और तो कोई सबब उसकी मोहब्बत का नहीं,
बात इतनी है के वो मुझसे जफ़ा करता है,
जब ख़ज़ाँ आएगी तो लौट आएगा वो भी 'फ़राज़',
वो बहारों में ज़रा कम ही मिला करता है,
Thursday, January 23, 2014
जब तेरा दर्द मेरे साथ वफ़ा करता है / फ़राज़
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