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Sunday, January 26, 2014

जीवन / कुसुम जैन

घूंघर-घूंघर बरसती हैं बूंदें
झूमते हैं पत्ते

पत्ता-पत्ता
जी रहा है
पल-पल को
आने वाले
कल से बेख़बर

कुसुम जैन

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