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Thursday, January 30, 2014

यह पलाश के फूलने का समय है-1 / अनुज लुगुन

जंगल में कोयल कूक रही है
जाम की डालियों पर
पपीहे छुआ-हुई खेल रहे हैं
गिलहरियों की धमा-चौकड़ी
पंडुओं की नींद तोड़ रही है
यह पलाश के फूलने का समय है ।

यह पलाश के फूलने का समय है
उनके जूडे़ में खोंसी हुई है
सखुए की टहनी
कानों में सरहुल की बाली
अखाडे़ में इतराती हुई वे
किसी भी जवान मर्द से कह सकती हैं
अपने लिए एक दोना
हड़ियाँ का रस बचाए रखने के लिए
यह पलाश के फूलने का समय है ।

यह पलाश के फूलने का समय है
उछलती हुईं वे
गोबर लीप रही हैं
उनका मन सिर पर ढोए
चुएँ के पानी की तरह छलक रहा है
सरना में पूजा के लिए
साखू के पेड़ों पर वे बाँस के तिनके नचा रही हैं
यह पलाश के फूलने क समय है ।

अनुज लुगुन

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