कितना अच्छा लगता है
सब कुछ भूलकर
बच्चों के बीच बैठना;
उन्हें देखना जी भरके,
उनसे बातें करना
उन्हें पुचकारना
और उनकी जीत में ही
- अपनी जीत मानकर
- सब कुछ हार जाना ।
- अपनी जीत मानकर
कितना अच्छा लगता है
बच्चों की सहज मुस्कान को
सहेजना,
उनके कोमल अंगों का
स्पर्श करना फूलों की तरह धीरे से
- और फिर देर तक
- उनकी आँखों में झाँकना
- सचमुच, कितना अच्छा लगता है !
- और फिर देर तक
कितना अच्छा लगता है
बच्चों को बेबात
बड़ी-बड़ी बातें करते देखना;
या फिर बुद्धू-सा बनकर
उनकी बातों में रस लेना
उनकी ज़िद पर ख़ुशी-ख़ुशी
अपनी ज़िद छोड़ना
और उनके सपनों से
- अपने सपने जोड़ना।
- कितना अच्छा लगता है !
- अपने सपने जोड़ना।
कितना अच्छा लगता है
संवादहीनता की स्थिति में भी
बच्चों के साथ संवाद बुनना,
और उनकी तोतली-सी ज़ुबान में
कही-अनकही बातों को बार-बार
बडे़ ध्यान से सुनना;
- उनके आकाश को बरबस
- अपनी भुजाओं में भरना
- और उनके सागर को
- नापने के प्रयास में
- ख़ुद ही सागर बन जाना।
- कितना अच्छा लगता है !
- उनके आकाश को बरबस
कितना अच्छा लगता है-
बच्चों के बीच बैठकर,
बिलकुल बच्चा बन जाना
और भूल जाना सारे दुख-दर्द
सचमुच, कितना अच्छा लगता है !
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