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Thursday, January 30, 2014

लाल है परचम नीचे हँसिया / कांतिमोहन 'सोज़'

लाल है परचम नीचे हँसिया ऊपर सधा हथौड़ा है !
इस झंडे की शान में साथी जान भी दें तो थोड़ा है !!

आधी दुनिया में उजियाली आधी में अँधियारा है
आधी में जगमग दीवाली आधी में दीवाला है,
जहाँ-जहाँ शोषण है बाक़ी वहाँ लड़ाई जारी है
पूरी दुनिया में झंडा फहराने की तैयारी है,
जिसने हमें ज़माने भर के मज़दूरों से जोड़ा है
इस झंडे की शान में साथी जान भी दें तो थोड़ा है !
                       लाल है परचम !!

हमने अपने ख़ून में रंगकर ये परचम लहराया है
इसकी ही किरणों से छनकर लाल सवेरा आया है,
लाखों हिटलर, लाखों चर्चिल, लाखों निक्सन हार गए
सौ-सौ जेट लड़ाकू सारे एटम बम बेकार गए,
हिन्द चीन से हमलावर का नाम मिटाकर छोड़ा है
इस झंडे की शान में साथी जान भी दें तो थोड़ा है !
                       लाल है परचम !!

दहकानों की मीत दराँती फ़सल काट कर घर लाए
मज़दूरों का यार हथौड़ा दुश्मन जिससे थर्राए,
जब इस झंडे के नीचे धरती के बेटे आते हैं
मज़दूरों के चौड़े सीने फ़ौलादी बन जाते हैं
क़दम मिला कर साथ चलें दुश्मन ने मैदां छोड़ा है
इस झंडे की शान में साथी जान भी दें तो थोड़ा है !

लाल है परचम नीचे हँसिया ऊपर सधा हथौड़ा है !
इस झंडे की शान में साथी जान भी दें तो थोड़ा है !!

कांतिमोहन 'सोज़'

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