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Sunday, January 26, 2014

जानती हैं औरतें / कमलेश

एक दिन सारा जाना-पहचाना
बर्फ़-सा थिर होगा
याद में ।

बर्फ़-सी थिर होगी
रहस्य घिरी आकृति
आँखें भर आएँगी
अवसाद में ।

आएँगे, मँडराते प्रेत सब
माँगेंगे
अस्थि, रक्त, माँस
सब दान में ।

जानती हैं औरतें
बारी यह आयु की
अपनी ।

कमलेश

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