ताबे-दीदार जो लाये मुझे वो दिल देना।
मुँह क़यामत में दिखा सकने के क़ाबिल देना॥
रश्के-खुरशीद-जहाँ-ताब दिया दिल मुझ को।
कोई दिलबर भी इसी दिल के मुक़ाबिल देना॥
अस्ल फ़ित्ना है, क़यामत में बहारे-फ़रदौस।
जुज़ तेरे कुछ भी न चाहे मुझे वो दिल देना॥
तेरे दीवाने का बेहाल ही रहना अच्छा।
हाल देना हो अगर रहम के क़ाबिल देना॥
हाय-रे-हाय तेरी उक़्दाकुशाई के मज़े।
तू ही खोले जिसे वो उक़्दये-मुश्किल देना॥
Wednesday, January 29, 2014
ताबे-दीदार जो लाये मुझे वो दिल देना / आसी ग़ाज़ीपुरी
Subscribe to:
Post Comments
(
Atom
)
0 comments :
Post a Comment