कुहरे की दीवार खड़ी है!
इसके पीछे जीवन कुड़कुड़
किए जा रहा मुर्गी जैसा ।
तगड़ी-सी इक बांग लगाओ,
जाड़ा दूर भगाओ,
जगत जगाओ ।
साँसों से ही गर्मी फूँको,
किरणों को साहस दो थोड़ा
कुहरे की दीवार हटाओ ।
रचनाकाल : जनवरी-अप्रैल, 2003
कुहरे की दीवार खड़ी है!
इसके पीछे जीवन कुड़कुड़
किए जा रहा मुर्गी जैसा ।
तगड़ी-सी इक बांग लगाओ,
जाड़ा दूर भगाओ,
जगत जगाओ ।
साँसों से ही गर्मी फूँको,
किरणों को साहस दो थोड़ा
कुहरे की दीवार हटाओ ।
रचनाकाल : जनवरी-अप्रैल, 2003
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