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Thursday, January 23, 2014

पेड़ / अश्वघोष

टिंकू से यह बोला पेड़
टिंकू मुझको अधिक न छेड़
शायद तुझ पर काम नहीं
पर मुझको आराम नहीं
देख अभी नभ में जाना है
बादल से पानी लाना है
जीवों को वायु देनी है
मिट्टी को आयु देनी है
ईंधन देना है बुढ़िया को
मीठे फल देना गुड़िया को
अभी बनाना ऐसा डेरा
पक्षी जिसमें करें बसेरा
इंसानों के रोग हरूँगा
और बहुत से काम करूँगा
टिंकू कर मत पीछा मेरा
मैं धरती का पूत कमेरा

अश्वघोष

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