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Saturday, January 25, 2014

फगुआ- ढोल बजा दे / अवनीश सिंह चौहान

हर कडुवाहट पर
जीवन की
आज अबीर लगा दे
फगुआ- ढोल बजा दे

तेज हुआ रवि
भागी ठिठुरन
शीत-उष्ण-सी
ऋतु की चितवन

अकड़ गई जो
टहनी मन की
उसको तनिक लचा दे

खोलें गाँठ
लगी जो छल की
रिहा करें हम
छवि निश्छल की

जलन मची अनबन की
उस पर
शीतल बैन लगा दे

साल नया है
पहला दिन है
मधुवन-गंध
अभी कमसिन है

सुनो, पपीहे
ऐसे में तू
कोयल के सुर गा दे

अवनीश सिंह चौहान

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