एक ज़रा दिल के करीब आओ तो कुछ चैन पड़े
जाम को जाम से टकराओ तो कुछ चैन पड़े
दिल उलझता है नग़मा-ओ-मय रंगीं सुनकर
गीत एक दर्द भरा गाओ तो कुछ चैन पड़े
बैठे बैठे तो हर मौज से दिल दहलेगा
बढ़के तूफ़ान से टकराओ तो कुछ चैन पड़े
दाग़ के शेर जवानी में भले लगते हैं
मीर की कोई ग़ज़ल गाओ तो कुछ चैन पड़े
याद-ए-अय्याम-गुज़िश्ता से इजाज़त लेकर
'तर्ज़' कुछ देर को सो जाओ तो कुछ चैन पड़े
Saturday, November 1, 2014
एक ज़रा दिल के करीब आओ तो कुछ चैन पड़े / गणेश बिहारी 'तर्ज़'
Subscribe to:
Post Comments
(
Atom
)
0 comments :
Post a Comment