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Thursday, November 27, 2014

अब सामने लाएँ आईना क्या / कृश्न कुमार 'तूर'

अब सामने लाएँ आईना क्या
हम ख़ुद को दिखाएँ आईना क्या

ये दिल है इसे तो टूटना था
दुनिया से बचाएँ आईना क्या

हम अपने आप पर फ़िदा हैं
आँखों से हटाएँ आईना क्या

इस में जो अक्स है ख़बर है
अब देखें दिखाएँ आईना क्या

क्या दहर को इज़ने-आगही दें
पत्थर को दिखाएँ आईना क्या

उस रश्क़े-क़मर से वस्ल रखें
पहलू में सुलाएँ आईना क्या

हम भी तो मिसाले-आईना हैं
अब ‘तूर’ हटाएँ आईना क्या

कृश्न कुमार 'तूर'

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