(लिंगाराम के लिए)
उस दिन
जब तुम्हें फोन आया था
दरअस्ल वह जंगलों का एक प्रस्ताव था कि
तुम उन्हें अपने स्पर्श से भर दो
उनकी सूनी आँखों को रोशनी दो
तुम्हें एक महान कदम उठाना था
प्रेम की ओर,
तुम यह कर सकते थे
उससे प्रेम करके
जो अपनी जंगली पगडंडियों से होकर
आ पहुँचा था तुम्हारी सड़कों तक
यह कदम था उसका तुम्हारी ओर
लेकिन शायद
वह राँग नंबर था तुम्हारे लिए
तुम्हारी बेरुखी ने उसे याद दिलाया होगा कि
अपनी लड़ाई खुद ही लड़नी होगी
तुमने उसके पैरों में बेड़ियाँ डाल दी होंगी
लेकिन जेल की सलाखों के पीछे
वह अपनी मुट्ठियाँ भींच रहा होगा।
Wednesday, November 26, 2014
राँग नंबर / अनुज लुगुन
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