ख्वाबों की बात हो न ख्यालों की बात हो मुफलिस की भूख उसके निवालों की बात हो अब ख़त्म भी हो गुज़रे जमाने का तज़्किरा इस तीरगी में कुछ तो उजालों की बात हो जिनको मिले फरेब ही मंजिल के नाम पर कुछ देर उनके पाँव के छालों की बात हो
0 comments :
Post a Comment