वह मादाम बोवारी का अभिनय कर रही है
बिल्कुल अंतिम दृश्य है विष उसके शरीर में फैल रहा है वह क्षमा मांगती है
यह देखते हुए मैं उसके पति की भूमिका में हूँ
मैं भी उससे क्षमा मांगता हूँ –
क्षमा करो प्रिये, मैं इस कथा से अभी विदा नहीं ले सकता
तुम्हारा अंतिम संस्कार मेरा अंतिम संस्कार नहीं है
मैं तुम्हारा समाधिलेख नहीं हूँ
मैं जीवन का आज्ञाकारी पालतू हूँ
मुझे तुम्हारी याद की ही नहीं कब्र की भी देखभाल करनी है
क्षमा करो, प्रिये, क्षमा
Tuesday, November 25, 2014
मादाम बोवारी से क्षमा / गिरिराज किराडू
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