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Tuesday, November 4, 2014

साँझ के साँचे बोल तिहारे / कुम्भनदास

साँझ के साँचे बोल तिहारे।
रजनी अनत जागे नंदनंदन आये निपट सवारे॥१॥
अति आतुर जु नीलपट ओढे पीरे बसन बिसारे।
कुंभनदास प्रभु गोवर्धनधर भले वचन प्रतिपारे॥२॥

कुम्भनदास

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