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Friday, November 7, 2014

कि जीवन अभी चलेगा / अरुणा राय

कि जीवन अभी चलेगा ...
धूल-धुएं के गुबार
और भीडभरी सडक
के शोर-शराबे के बीच
जब चार हथेलियां
मिलीं
और दो जोड़ी आंखें
चमकीं
तो पेड़ के पीछे से
छुपकर झांकता
सोलहवीं का चांद
अवाक रह गया
और तारों की टिमटिमाती रौशनियां
फुसफुसायीं
कि सारी जद्दोजहद के बीच
जीवन
अभी चलेगा ...

अरुणा राय

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