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Saturday, November 8, 2014

हुआ सवेरा / कन्हैयालाल मत्त

हुआ सवेरा, गया अँधेरा,
सूरज रहा निकल
हाँ भई फक्कड़, लाल बुझक्कड़,
तू भी ढंग बदल ।

बुरे काम तज, राम राम भज,
मत रट मरा-मरा
अपने-अपने, देख न सपने,
मन रख हरा-भरा ।

अगर-मगर में, उलझ डगर में,
क्यों तू अड़ा-खड़ा
मस्त उछलता, रह तू चलता,
नाम कमा तगड़ा ।

है बेमानी, सनक पुरानी,
उसको दूर भगा
नई कहानी, सुना जबानी,
पिछले गीत न गा ।

कन्हैयालाल मत्त

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