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Tuesday, November 4, 2014

ज़िद के बारे में / अनिल करमेले

ज़िद के बारे में जानकारों की राय है
यह ख़राब शै है ऐसी न छूटे तो
तोड़ देती है बाक़ी ज़रूरी चीज़ों को
और अक्सर ज़िद्दी आदमी को भी
इसलिए कोशिश रहती है
ज़िदें तोड़ दी जाएँ बचपन से ही
मुकम्मिल ज़िद बनने से पेश्तर
बहुत हुआ तो वे मामूली पसंद-नापसंद बनें
ठीक है, देखेंगे की तर्ज़ पर

जो ज़िद नहीं करते
वे ही कहलाते हैं राजा बेटे
सुरक्षित रहते हैं वे सब तरफ़ से
और कमीज़ के कफ़ की तरह कभी भी
दबाए जा सकते हैं अंदर
इस तरह बनते हैं वे दुनियादार

ज़िद्दी आदमी का मतलब
मज़बूत क़दम और तीख़ी निगाह से होता है
जो आसानी से इधर-उधर मुड़ने को तैयार नहीं

ज़िद में रहने का मतलब
कुछ की पसंद मगर
बहुतों से बुरा हो जाना है
अब ज़िद्दी आदमी कहाँ देखने को मिलते हैं।

अनिल करमेले

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