आपके दिल में चल रहा क्या है,
अब भला हम से कुछ छिपा क्या है |
अभी वाकिफ़ नहीं हुज़ूर हम से,
जान जायेंगे ये बला क्या है |
देख लो जी के ज़िन्दगी मेरी,
ग़र नहीं जानते सज़ा क्या है |
माना मुजरिम हूँ मैं तेरा लेकिन,
ये तो बतलाओ के ख़ता क्या है |
इतने नादां नहीं के ना जानें,
दोस्ती क्या है और दगा क्या है |
अब न भाता है ये शहर हमको,
तेरे बिन अब यहाँ रहा क्या है |
पेश-ए-ख़िदमत है जान भी अब तो,
जीते जी ही हमें मिला क्या है |
Friday, April 4, 2014
आपके दिल में चल रहा क्या है / आशीष जोग
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