प्रति चरण पर मैं प्रगति का गीत गाता जा रहा हूँ।
- जा रहा हूँ मैं अकेला
- शून्य पथ वीरान सारा
- विघ्न की बदली मचलकर
- है छिपाती लक्ष्य तारा
- दूर मंज़िल है न जाने
- क्यों स्वयं मुस्का रहा हूँ॥
- जलधि सा गम्भीर हूँ मैं
- चेतना मेरी निराली
- प्रगति का संदेशवाहक
- लौट आऊँगा न खाली
- कंटकों के बीच सुमनों की
- मधुरिमा पा रहा हूँ
- तुम करो उपहास पर
- मैं तो हूँ सदा का विजेता
- तुम समय की मांग पर
- सत्वर-नवल संसृति प्रजेता
- आज तक की निज अगति पर
- मैं स्वयं शरमा रहा हूँ॥
- आज सहमी सी हवाएँ
- मन्द-मन्थर चल रही हैं
- दिव्य जीवन की सुनहली रश्मियाँ
- भी बल रही हैं
- मैं युगों पर निज प्रगति का
- चिह्न देता आ रहा हूँ॥
- अखिल वसुधा तो बहुत
- पहले बिहँसते माप छोड़ा
- अभी तो कल ही बड़ा
- एवरेस्ट का अभिमान तोड़ा।
- रुक अभी जा लक्ष्य पर निज
- अतुल बल बतला रहा हूँ॥
- जा रहा हूँ मैं अकेला
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