रंग
गिरगिट की तरह
अभिमत बदलते हैं ।
रोज़
करते हैं तरफ़दारी
अंधेरों की
रोशनी को
लूटने वाले
लुटेरों की
इसमें
नहीं होते सफल तो
हाथ मलते हैं ।
अवसरों की
हुण्डियाँ बढ़कर
भुनाने की
जानते हैं हम
कला झुकने
झुकाने की
यश
मिले इसके लिए हर
चाल चलते हैं ।
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