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Saturday, April 12, 2014

हाइकु / कुँअर बेचैन

जल चढ़ाया
तो सूर्य ने लौटाए
घने बादल ।

तटों के पास
नौकाएं तो हैं,किन्तु
पाँव कहाँ हैं?

ज़मीन पर
बच्चों ने लिखा'घर'
रहे बेघर ।

रहता मौन
तो ऐ झरने तुझे
देखता कौन?

चिड़िया उड़ी
किन्तु मैं पींजरे में
वहीं का वहीं !

ओ रे कैक्टस
बहुत चुभ लिया
अब तो बस

आपका नाम
फिर उसके बाद
पूर्ण विराम!

कुँअर बेचैन

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