दिल की बस्ती में शोर आँख वीरान है
ज़िन्दगी हर क़दम पर पशेमान है
दिल फ़िगारों के दिल में बयाबान है
बस्ती एहसास की अब तो बेजा़न है
क्या सबब है कि वो अजनबी-सा मिला
जिससे बरसों की मेरी तो पहचान है
दिल में सदा जलती है दर्द की इक मशाल
यह तुम्हारे ग़मों का ही एहसान है
यूूूॅं न मायूस हो और ना हो उदास
मन्ज़िलें ज़िन्दगी की भी इमकान है
इसके पहले ख़ला में क्या था उषा
अब तो हर सिम्त ही एक तूफ़ान है
Sunday, March 2, 2014
दिल की बस्ती में शोर आँख वीरान है / उषा यादव उषा
Subscribe to:
Post Comments
(
Atom
)
0 comments :
Post a Comment