चालक- पथ की
जीवन रथ की
लेकर नव भाषाएं
आया है
नव वर्ष हमारा
जागीं सब आशाएं
नये रंगों से
रंगी ज़िन्दगी
रंगोली-सी सोहे
सात सुरों से
सजी बांसुरी
जैसे तन-मन मोहे
चलो समय का
पहिया घूमा
बदलीं परिभाषाएं!
फूल-फूल में
प्रेम बढ़ेगा
महकेगी फुलवारी
धूप-चांदनी,
बरखे बरखा
लहकेगी हर क्यारी
झोली में
सबके फल होंगे-
पूरी अभिलाषाएं!
Thursday, March 27, 2014
नव वर्ष / अवनीश सिंह चौहान
Subscribe to:
Post Comments
(
Atom
)
0 comments :
Post a Comment