यहाँ उजले उजले रूप बहुत
पर असली कम, बहरूप बहुत
इस पेड़ के नीचे क्या रुकना
जहाँ साये कम, धुप बहुत
चल इंशा अपने गाँव मैं
बेठेंगे सुख की छाओं में
क्यूँ तेरी आँख सवाली है ?
यहाँ हर एक बात निराली है
इस देस बसेरा मत करना
यहाँ मुफलिस होना गाली है
जहाँ सच्चे रिश्ते यारों के
जहाँ वादे पक्के प्यारों के
जहाँ सजदा करे वफ़ा पांव में
चल इंशा अपने गाँव में
Monday, March 31, 2014
चल इंशा अपने गाँव में / इब्ने इंशा
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