बातें तेरी वो वो फ़साने तेरे
शगुफ़्ता शगुफ़्ता बहाने तेरे
बस एक ज़ख़्म नज़्ज़ारा हिस्सा मेरा
बहारें तेरी आशियाने तेरे
बस एक दाग़-ए-सज्दा मेरी क़ायनात
जबीनें तेरी आस्ताने तेरे
ज़मीर-ए-सदफ़ में किरन का मुक़ाम
अनोखे अनोखे ठिकाने तेरे
फ़क़ीरों का जमघट घड़ी दो घड़ी
शराबें तेरी बादाख़ाने तेरे
बहार-ओ-ख़िज़ाँ कम निगाहों के वहम
बुरे या भले सब ज़माने तेरे
'अदम' भी है तेरा हिकायतकदाह
कहाँ तक गये हैं फ़साने तेरे
Sunday, March 30, 2014
बातें तेरी वो वो फ़साने तेरे / अब्दुल हमीद 'अदम'
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