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Sunday, March 30, 2014

बहार आई / अकबर इलाहाबादी

बहार आई, मये-गुल्गूँ के फ़व्वारे हुए जारी
यहाँ सावन से बढ़कर साक़िया फागुन बरसता है
फ़रावानी हुई दौलत की सन्नाआने योरप में
यह अब्रे-दौरे-इंजन है कि जिससे हुन बरसता है

अकबर इलाहाबादी

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