Pages

Friday, March 28, 2014

श्रीगोबिन्द पद-पल्लव सिर पर बिराजमान / गदाधर भट्ट

श्रीगोबिन्द पद-पल्लव सिर पर बिराजमान,
कैसे कहि आवै या सुखको परिमान।
ब्रजनरेस देस बसत कालानल हू त्रसत,
बिलसत मन हुलसत करि लीलामृत पान॥१॥

भीजे नित नयन रहत प्रभुके गुनग्राम कहत,
मानत नहिं त्रिबिधताप जानत नहिं आन।
तिनके मुखकमल दरस पातन पद-रेनु परस,
अधम जन गदाधरसे पावैं सनमान॥२॥

गदाधर भट्ट

0 comments :

Post a Comment