सावधान! होशियार!!
कोई अपने घर से बाहर न निकले,
कोई खिड़कियों से झाँकने की
जुर्रत न करे।
व्यवस्था
वीरान सड़कों पर
गश्त कर रही है।
शांति
भारी बूट और कनटोप पहनकर
हाथों में राइफल थामे
चुप्पी के पहरे में
भाग्यनगर के दारुण सौंदर्य का
रसपान कर रही है।
सावधान! होशियार!!
अपना वाहन लेकर इधर न आएँ
भूखों मरें बच्चे और बीमार
मगर सब्जी और राशन लेने न जाएँ।
हजार बाँहों वाला आदमखोर अँधेरा
चिलकती धूप में
काले लबादों में लिपटा-
एक हाथ में तलवार,
दूसरे में विस्फोटक
और न जाने किस-किस हाथ में
कौन-कौन से अस्त्र-शस्त्र लेकर
पाँवों में आतंक के घुँघरू बाँधे
दयालुओं के दयालु
परम कृपालु
परमात्मा के नाम पर
निर्दयता और क्रूरता का
पगला नाच दिखाता
गलियों, सड़कों और चौराहों पर
झूम रहा है
खून के खप्पर पीकर।
सावधान! होशियार!!
जबान सँभालकर बात करें
न फैलाएँ दंगे - फ़साद की अफवाहें।
अभी तक इस देश की जनता
लोकतंत्र की संस्कृति से अजानी है,
उसे नहीं मालूमः
पथराव..........
आगज़नी.......
लूटमार.......
और छुरेबाज़ी..
इस तंत्र के
अनिवार्य
सांस्कृतिक कर्म की निशानी हैं!
लोग आज़ाद हैं यहाँ
नाम पूछकर गला घोंटने के लिए,
चूडियाँ फोड़ने और सिंदूर पोंछने के लिए,
आदमी को जिंदा जलाने के लिए,
दीवारें खडी़ करने
और रोशनदान तोड़ने के लिए।
सावधान! होशियार!!
जबान सँभालकर बात करें
कैमरे की आँख से देखें।
हज़ार बाँहों वाले
आदमखोर अँधेरे के
इस पगले नाच को।
यह कोई दंगा-वंगा नहीं,
वीडियो फिल्म की शूटिंग है
चारमीनार की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि में,
शाही भोजन के वक्त
हल्के-फुल्के मनोरंजन के लिए!
(सावधान! होशियार!!)
Friday, March 7, 2014
५ जून १९९८ / ऋषभ देव शर्मा
Subscribe to:
Post Comments
(
Atom
)
0 comments :
Post a Comment