पागल हब्सी की तरह नदी कभी ताबड़तोड़ तमाचे मारती है समुद्र के गाल पर कभी चढ़ जाती है समुद्र की पीठ पर नदी कभी पटक देती है समुद्र को पानी पर तो पलट जाता है समुद्र फिर नदी फिर समुद्र फिर समुद्र फिर नदी....
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