अब की अच्छी शुरुआत की जाए
घमंड से ऐंठन की जगह
नम्रता से सीधा रहा जाए
पड़ोसियों पर हँसने से पहले
उनके दुःख में रो लिया जाए
एक दिन घर से निकलना हो और
बिना दाग़ के वापस लौटा जाए
आत्मा पर चढ़ने से पहले मैल
हँसी की तेज़ धार से उसे खुरच दिया जाए
एक दिन गली बुहारी जाए
नाली साफ़ की जाए
पर उससे पहले मन के कपट को आँसुओं से धो लिया जाए
Saturday, April 5, 2014
नई शुरूआत / अरुण देव
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