सोई जानो जगत में, उत्तम जीव सुभाग ।
मधुर वचन निरमानता, सम दम तप बैराग ।।
सम दम तप बैराग दया हिरदे में धारैं।
मुख से बोलें सत्त सदा, न झूठ उचारैं ।।
गंगादास सुभ कर्म करें तजकर बदगोई ।
तन मन पर उपकार समझ जन उत्तम सोई ।।
सोई जानो जगत में, उत्तम जीव सुभाग ।
मधुर वचन निरमानता, सम दम तप बैराग ।।
सम दम तप बैराग दया हिरदे में धारैं।
मुख से बोलें सत्त सदा, न झूठ उचारैं ।।
गंगादास सुभ कर्म करें तजकर बदगोई ।
तन मन पर उपकार समझ जन उत्तम सोई ।।
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