मैं मौन रहूँ
तुम गाओ
- जैसे फूले अमलतास
- तुम वैसे ही
- खिल जाओ
जीवन के
अरुण दिवस सुनहरे
नहीं आज
तुम पर कोई पहरे
- जैसे दहके अमलतास
- तुम वैसे
- जगमगाओ
कुहके जग-भर में
तू कल्याणी
मकरंद बने
तेरी युववाणी
- जैसे मधुपूरित अमलतास
- तुम सुरभि
- बन छाओ
रचनाकाल : 2007
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