किसी
औघड़ की
काली कमली ओढ़
अपनी ही देह में
अंतरध्यान हो
पल- पल
कैसा सहारा देती है
मौन
के उस
सुरमई
संतुलन को
करवट - करवट ।
किसी
औघड़ की
काली कमली ओढ़
अपनी ही देह में
अंतरध्यान हो
पल- पल
कैसा सहारा देती है
मौन
के उस
सुरमई
संतुलन को
करवट - करवट ।
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