जहाँ रहती हो
क्या वहाँ भी उगते हैं प्रश्न
क्या वहाँ भी चिन्ताओं के गाँव हैं
क्या वहाँ भी मनुष्य मारे जाते हैं बेमौत
क्या वहाँ भी हत्यारे निर्धारित करते हैं कानून
क्या वहाँ भी राष्ट्राध्यक्ष घोटाले करते हैं
क्या वहाँ भी
एक भाषा दम तोड़ती हुई नाख़ून में भर जाती है अमीरों के
क्या वहाँ भी आसमान दो छतों की कॉर्निश का नाम है
और हवा उसाँस का अवक्षेप
क्या वहाँ भी एक नदी
बोतलों से मुक्ति की प्रार्थना करती है
एक खेत कंक्रीट का जंगल बन जाता है रातोरात
और किसान, पाग़ल, हिजड़े और आदिवासी
खो देते हैं किसी भी देश की नागरिकता
और व्यवस्था के लिए ख़तरा घोषित कर दिए जाते हैं
क्या वहाँ भी
एक प्रेमिका
अस्पताल में अनशन करती है इस एक प्रतीक्षा में
कि बदलेगी व्यवस्था और वह
रचा पाएगी ब्याह अस्पताल में देखे गए अपने प्रेमी से कभी न कभी
और जिए जाती है दसियों सालों से
जर्जर होती जाती अपनी जवान कामनाओं के साथ
जहाँ रहती हो
तुम्हारे वहाँ का संविधान
कहो
कैसा है विदेशिनी ?
Sunday, October 27, 2013
विदेशिनी-5 / कुमार अनुपम
Subscribe to:
Post Comments
(
Atom
)
0 comments :
Post a Comment