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Monday, October 28, 2013

एक रात का खंडित स्वप्न हैं या / कुमार अनिल

एक रात का खंडित स्वप्न हैं
              या दिन का टूटा विश्वास हैं हम ।
क्या पूछते हो क्या बतलाएँ,
              एक भूला हुआ इतिहास हैं हम ।
हमें दिल से ज़रा महसूस करो,
              एक दर्द भरा एहसास हैं हम ।
कभी एक समंदर थे लेकिन,
              अब रेगिस्तान की प्यास हैं हम ।

कुमार अनिल

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