मारो ठोकर दया कर, नाव मेरी हो पार ।
और कोई सुनता नहीं, कब का रहा पुकार ।।
कब का रहा पुकार नाव चक्कर ले रही है ।
बार-बार परचंड पवन झोंके दे रही है ।।
गंगादास कह दीन जानके पार उतारो ।
खेवटिया हैं आप दयाकर ठोकर मारो ।।
मारो ठोकर दया कर, नाव मेरी हो पार ।
और कोई सुनता नहीं, कब का रहा पुकार ।।
कब का रहा पुकार नाव चक्कर ले रही है ।
बार-बार परचंड पवन झोंके दे रही है ।।
गंगादास कह दीन जानके पार उतारो ।
खेवटिया हैं आप दयाकर ठोकर मारो ।।
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