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Thursday, October 31, 2013

ख़ाक बसर ले आई है / अब्दुल हमीद

ख़ाक बसर ले आई है
राह किधर ले आई है

लिख के परों पर इक तितली
उस की ख़बर ले आई है

कितने सितारे ख़्वाबों के
गर्द-ए-सफ़र ले आई है

राज़ कोई इन आँखों का
शफ़क़-ए-सहर ले आई है

एक हवा कितनी यादें
मेरे घर ले आई है

अब्दुल हमीद

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